वीर तेजाजी महाराज री स्तुति

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तेजा गायन -

गाज्यौ-गाज्यौ जेठ'र आषाढ़ कँवर तेजा रॅ
लगत ही गाज्यौ है सावण-भादवो
सूतो-सूतो सुख भर नींद कँवर तेजा रॅ
थारोड़ा साहिना
बीजॅं बाजरो। उठ्यो-उठ्यो पौर के तड़कॅ कुँवर तेजा रॅ
Rajasthani ONE marvadi tejaji
माथॅ तो बांध्यो हो धौळो पोतियो
हाथ लियो हळियो पिराणी कँवर तेजा रॅ
बॅल्यां तो समदायर घर सूं नीसर्यो
काँकड़ धरती जाय निवारी कुँवर तेजा रॅ
स्यावड़ नॅ मनावॅ बेटो जाटको।
भरी-भरी बीस हळायां कुँवर तेजा रॅ
धोळी रॅ दुपहरी हळियो ढाबियो
धोरां-धोरां जाय निवार्यो कुँवर तेजा रॅ
बारह रॅ कोसां री बा'ई आवड़ी।।
बैल्या भूखा रात का बिना कलेवे तेज।
भावज थासूं विनती कठै लगाई जेज।।
मण को रान्दियो खाटो खीचड़ो।
लीलण खातर दल्यो दाणों कँवर तेजा रॅ
साथै तो ल्याई भातो निरणी।
Rajasthani ONE marvadi tejaji
दौड़ी लारॅ की लारॅ आई कँवर तेजा रॅ
म्हारा गीगा न छोड़ आई झूलै रोवतो।
ऐहड़ा कांई भूख भूखा कँवर तेजा रॅ
थारी तो परण्योड़ी बैठी बाप कॅ
ऐ सम्हाळो थारी रास पुराणी भाभी म्हारा ओ
अब म्हे तो प्रभात जास्यां सासरॅ
हरिया-हरिया थे घास चरल्यो बैलां म्हारा ओ
पाणिड़ो पीवो नॅ थे गण तळाव रो।
थारो मामोसा परणाया पीळा-पोतड़ा।
गड पनेर पड़ॅ ससुराल कँवर तेजा रॅ
रायमल जी री पेमल थारी गौरजां
पहली थारी बैनड़ नॅ ल्यावो थे कंवर तेजा रॅ।
पाछै तो सिधारो थारॅ सासरॅ।।
Rajasthani ONE marvadi tejaji
marwadi tejaji maharaj ri gatha story kahani

डांई-डांई आँख फरुखे नणदल बाई ये
डांवों तो बोल्यो है कंवलो कागलो
कॅ तो जामण जायो बीरो आसी बाई वो
कॅ तो बाबो सा आणॅ आवसी
बाईसा नॅ पिहरिये भेजो नी सास बाईरा
मायड़ तो म्हानॅ लेबानॅ भेज्यो
चार दिना की मिजमानी घणा दिनासूं आया
राखी री पूनम नॅ पाछा भेजस्यां
सीख जल्दी घणी देवो सगी म्हारा वो
म्हानॅ तो तीज्यां पर जाणों सासरॅ
तेजल आयो गांव में ले बैनड नॅ साथ
हरक बधायं बँट रही बड़े प्रेम के साथ
मूहूर्त पतड़ां मैं कोनी कुंवर तेजा रॅ
धोळी तो दिखॅ तेजा देवली
सावण भादवा थारॅ भार कंवर तेजा रॅ
पाछॅ तो जाज्यो सासरॅ
Rajasthani ONE marvadi tejaji
गाड़ा भरद्यूं धान सूं रोकड़ रूपया भेंट
तीजां पहल्यां पूगणों नगर पनेरा ठेठ
सिंह नहीं मोहरत समझॅ जब चाहे जठै जाय
तेजल नॅ बठै रुकणुं जद शहर पनेर आय
माता बोली हिवड़ॅ पर हाथ रख
आशीष देवूं कुलदीपक म्हारारै
बेगा तो ल्याज्यो पेमल गोरड़ी
खिड़की बागां री बेगी खोलो बनमाली रे
बारै भीगे बेटो जाट को
कोनी कुंची खिड़का री म्हारा कंवरांओ
कुंची तो लेगी पेमल गोरजां
बाग में बेगी जावो भोजाई म्हारी ओ
साथै तो ले जावो झूलो झूलरो
Rajasthani ONE marvadi tejaji
हाथां मेहंदी लगी है सायब म्हारा वो
दागां तो लागेला धोळी धोतियाँ
छत्रिय धर्म की लाज राखो कँवर तेजा रै,
म्हारी गायां तो लेगा रै मीणा चोरडा.
म्हारी गायां जल्दी ल्यावो थे तो जीजा वो,
भूखा तो अरड़ावे छोटा कैरड़ा .
क्षत्रिय थारो धर्म कँवर तेजा रै,
गौरां मैं अरड़ावे बाळक बाछड़ा.
दोय घड़ी ढब ज्यावो परन्या सायबा,
झगडा री बैल्या मैं घोड़ी थामस्युं.
डूंगर पर डांडी नहीं, मेहां अँधेरी रात
पग-पग कालो नाग, मति सिधारो नाथ
Rajasthani ONE marvadi tejaji
शूरा मत कर माथा फोड़ी, पाछी फेरल्यो थारी घोड़ी
घर मैं बाट देख रही गौरी, आ जिंदगानी है थोड़ी

ओ थारो केरड़ो संभालो लाछा गूजरी
तेजल ने जाणों है आगे आसरै
आई ज्योंही पाछी मुड़ज्या लीलण म्हारी ए
बचना रो बांध्योड़ो बदलो चुकस्याँ

सासु सुसरा न दीजै राम जुवारी
पेमल न दीजै मेमद मोलियो
अठै देखी ज्यों कह दीजै पेमल न
घडी रै पलक रो तेजो पावनों
लीलन घोडी की आँखों से आंसू टपकते देख तेजाजी ने कहा -
"लीलन तू धन्य है. आज तक तूने सुख-दुःख में मेरा साथ निभाया. मैं आज हमेशा-हमेशा के लिए तुम्हारा साथ छोड़ रहा हूँ. तू खरनाल जाकर मेरे परिवार जनों को आँखों से समझा देना."
माँ न प्रणाम कर सांचोडा समाचार बतला दीजै
काका, बाबा न प्रणाम कीजै हाथ जोड़
भाई न भौजायाँ कीजै निमणूं
बाई राजल न धीरज दे हाथ फेरणां
नागराज ने कहा - तेजा नागराज कुंवारी जगह बिना नहीं डसे. तुम्हारे रोम-रोम से खून टपक रहा है. मैं कहाँ डसूं?
तेजाजी ने कहा नागराज मुझे वचन चूक मत करो. अपने वचन को पूरा करो. मेरे हाथ की हथेली व जीभ कुंवारी हैं, मुझे डसलो.
बालू नाग नतमस्तक हो गया और बोला -
'धन्य है तेजा तुम्हारे माता-पिता, धन्य है तुम्हारी शूरवीरता और प्राण. आज कालिया हार गया और धौलिया जीत गया.
बालू नाग ने कहा की तेजा देवता के रूप में पूजे जावेंगे तथा पीडितों के दुखों का संहार करेंगे. किसान खेत में हल जोतने से पहले तेजाजी की पूजा करेंगे.
पेमल सुरसुरा में सती हो जाती है
तेजाजी के बलिदान का समाचार सुनकर पेमल के आँखों के आगे अँधेरा छा गया. उसने मां से सत का नारियल माँगा, सौलह श्रृंगार किये,
Rajasthani ONE marvadi tejaji
परिवार जनों से विदाई ली और सुरसुरा जाकर तेजाजी के साथ सती हो गई. पेमल जब चिता पर बैठी है तो लीलण घोडी को सन्देश देती है कि सत्य समाचार खरनाल जाकर सबको बतला देना.
सुसराजी न पावां धोक कह दीजै
सासुजी न कीजै पगां लागणा
बाई राजल न दीजै रिमझिम बोलणी
मन मैं रहगी सासुजी की पोल देखती
परण्यो जातो निजरां देखती
कहते हैं कि अग्नि स्वतः ही प्रज्वलित हो गई और पेमल सती हो गई. लोगों ने पूछा कि सती माता तुम्हारी पूजा कब करें तो पेमल ने बताया कि - "भादवा सुदी नवमी की रात्रि को तेजाजी धाम पर जागरण करना और दसमी को तेजाजी के धाम पर उनकी देवली को धौक लगाना, कच्चे दूध का भोग लगाना. इससे मनपसंद कार्य पूर्ण होंगे. यही मेरा अमर आशीष है "
भाया रै उतरता भादुडा री नवमी की रात जगायज्यो
Rajasthani ONE marvadi tejaji
दसम न धोकज्यो धौल्या री देवली
काच्चा दूध को भोग लगाज्यो
थारा मन पसंद कारज सिद्ध होसी
आ ही म्हारी अमर आशीष है
लीलन घोड़ी सतीमाता के हवाले अपने मालिक को छोड़ अंतिम दर्शन पाकर सीधी खरनाल की तरफ रवाना हुई परबतसर के खारिया तालाब पर कुछ देर रुकी और वहां से खरनाल पहुंची. खरनाल गाँव में खाली पीठ पहुंची तो तेजाजी की भाभी को अनहोनी की शंका हुई. लीलन की शक्ल देख पता लग गया की तेजाजी संसार छोड़ चुके हैं.
कैयां आई बिरंगो लीलण म्हारी ए
कठोड़ै छोड्यो है देवर लाडलो
कहते हैं कि लीलण घोडी खरनाल आकर तेजा की भाभी को बोली कि तुम्हारा देवर शहीद हो गया है और पेमल उनके साथ सती हो गई है.
देवर थारो वीर गति पाई है
सती तो होगी है पेमल जाटणी कलयुग के इतिहास में घोड़ी का मुंह बोलना पहला उदाहरन है जय वीर तेजा जी

Rajasthani ONE marvadi tejaji bhakti
।।वीर तेजाजी महाराज की स्तुति।।


शिव शंकर रो है अवतारी ताहर जी रो लाल,
राम कंवरी रो पुत्र लाडलो गायांरो गोपाल।

 सावण बरसे भादवो इन्द्र री शुरूवात,
 तेजा हल तू जोत जे थारी मैया केवे बात।

हंस्तो तेजो बोल्यो बरस्यो इन्द्र भगवान।
हाली ने भेजो खेत में, मैं तो हूँ मां नादान।

मेरी उम्र नादान मां मने खेलणों आवे,
कियां पकडे हळ री हाल कियां हळ बावे। ।तेजा दर्शन।

सिख्या बेटा सब हूए किसानां रो काम,
हल ले तेजो चाल्यो ले माता रो नाम
 मेहनत करियां मोती नीपजे ऐ तेजे रा भाव,
 बेल्या लिन्या साथ में लियो शंकर रो नाव।। तेजा दर्शन।
Rajasthani ONE marvadi tejaji bhakti
बोल्यो तेजो जांवतो भातो बेगो भेज
भाभी म्हारी लाडली मती लगाज्यो जेज।

हुई घणी दुपेर तावडो च आयो,
तेजा ने लागी भूख भातो नहीं आयो।

भुखा म्हारा बल्दीया बिना कलेवे तेज,
भाभी बेगा आवंता कियां लगाई जेज।

 भातो आयो दुपेर हालत देखो म्हारी,
 बेल्या भुखा हल बावता भाभी गलती थारी।

भाभी बोल्या बोलणा सुणले देवर तेज,
परणी बेठी पिहर में क्यों लगावे जेज।
                   
सुरवीर क्षत्रिय रो जायो सुणु न एक थारी,
पगा लगादु लाय के भाभीजी देराणी थारी।

मैं तो परणी लावसुं जिण रो थाम्यो हाथ,
तेजो घराने आवीयो एक सुणी नही बात।

बोली माता तेज ने काई थारी टुटी रास,
हल, हाल, कुछ टुटीयो तुं क्यु भयो उदास।
Rajasthani ONE marvadi tejaji bhakti
खुद पंचरगी सापो करयो लीलण रो सिणगार,
पण्डित मोहरत मना करयो भाभी करे गुहार।

रीस करो मत देवर म्हारी छोटी बहन परणादूं
बडा भाई ने केयने थारो दुजो ब्याव करादूं।

सुणी नी एक तेजे पहूच गये ससुराल
डेरा दिया बाग में सुणो आगेरा हाल ।

पाणी भरती गोरडी तेजे करी पीछाण
साल्या पुछयो गांव रो तेजे बताई जांण
                   
 सासु गायां दुवती सुणी लीलण री खरताळ
काल्यो खावे थने सासु दीनी गाळ।

तेजो तेज तलवार सो घोडी लीवी घुमाय,
पेमल आय ने रोविया माफ करो भरतार।

घुंघट आंख्या के लीवी हुई नही पीछाण,
बिन देखयां थाने बोलीया देख न दीनी गाळ।
Rajasthani ONE marvadi tejaji bhakti
झूठ आगे झूकूं नही सत्यरी राखूं आंण,
बोल रा घाव भरे नहीं सासु सत्यरी पहचाण ।

तेजो तेज प्रकाश सुं मेह अंधेरी रात,
रोती लाछां गुजरी तो तेजो पुछी बात ।

बोले लांछा गुजरी कायर जग संसार
गायां मीणा ले गया कुण चे अब बाहार।

धोती चोलो पहरने कियो साफेरो सिणगार,
भालो लीन्यो हाथ में हो लीलण रे असवार।

गांया सगळी लावसुं वचन तेजे रा जाण,
लाछां घरां पधारो वि भांकर री आण ।

जलतो सर्प ने देखियो अगनी सुं लीयो बचाय,
बासक वचना बांधियो पाछो आय देवूं निभाय।

बासक बोल्यो तेज ने तु सुरा रो सूर,
धीन है जननी माय ने जीणने जायो एसो नूर ।।

 देवू जीवन दान तेजा तू मनमें हरख मनाय,
आयो वचन निभावणे धीन पाछो घराने जाय ।
Rajasthani ONE marvadi tejaji bhakti
कायर नही किरलावंतो नही झुकू में थारी आंण,
बासक वचन निभावणा आ तेजा री पिछाण ।।

तीरा बीध्यो शरीर ने ज्यू सुवागण सिंदुर,
कवारी जाग्या डंख भरुं तु होज्या म्हासु दूर ।।

भालो गाडयो जमीन में चो इणरी भणकार,
लीलण आसण बेठ के जीभा देवो फटकार ।।

जीभ हथेली हाजिर करी झुकिया बासक राज,
बासक आंख्या टपक रही पुरो कीन्यो काज ।

                       
आंख्या गंगा टपक रही मुडे भई उदास,
घर आ घोडी मुंडे बोलणो कलयुग रो इतिहास।

बलिदान सुरसुरा गांव में बासक वचन सुणायो
झुक्यो ने घोल्यो काल सु जीभें डस भरायो।

गांव सुरसुरा म्हाही ने सत्य री राखी आण
नाग रूप में आंव सुं आ तेजेरी पिछाण।

ऐ तेजेरा भाव भगती करता भांकर री भारी
श्री वीर तेजा ज्यांरो नाम भांकर रा अवतारी।
                           
परचा देवे देवता जिणरे मन में विश्वास,
सरणे तेज के आवज्यो पुरण होवे आस ।
Rajasthani ONE marvadi tejaji bhakti
सावण बरसे भादवो नदीया मारे छोळ,
किसान तेजो गांवता इन्द्र चे हिलोळ ।

इन्द्र चे हिलोळ मेघ बरसावे,
हंस्तो धोरा माहीं किसान तेजो गावे ।

बांगल बांधी राखडी बहन भाई रा हेत,
सती हो इतिहास रच्यो धरा हटाली रेत ।

मारवाड खरनाल में धोल्या थारों धाम,
दूर दूर सुं आवे यात्री लेवे थारो नाम।

खेती करां हल जोता जद लेवा थारों नाम,
बीजां बीज मोती नीपजे ओर लागे कोनी पान ।

शक्ति थारी सराहणा पूजे जग संसार,
जाट कुळ में जन्म लियो धोल्या घर अवतार।

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